एक पागल-सी बहन मेरी

एक पागल-सी बहन मेरी

मैं पागल कहता हूँ उसको, वो नाम सुमन बताती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

इधर उधर की बातों से, वो मुझको बहुत पकाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

उसे बात समझ ना आती हैं,
फिर भी उसको समझाता हूँ |
गोल गोल बातों को घुमाकर,
हर बात उससे मनवाता हूँ ||
मैं पूरी बात कर जाता हूँ, वो सोचती रह जाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

सुनती हैं, कुछ कहती नही हैं,
बस बोर बहुत करती हैं |
चिल्लाती रहती हैं, घर में,
बस शोर बहुत करती हैं ||
खाना तो कम खाती हैं, पर वो दिमाग सबका खाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

फरमाईशों में वो अपनी,
सबको टाँगती रहती हैं |
मम्मी से कपडें और हमसे,
फोन माँगती रहती हैं ||
एक अगर पूरी कर दो तो, वो नई फरमाईश रखती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

चिंता वो करती हैं मेरी,
मुझको बहुत दिखाती हैं |
हलवे की फोटो भेजती हैं,
बस मुझे खिला ना पाती हैं ||
मैं आगे से कॉल करता हूँ, वो फिर भी रौब दिखाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

गलती तो खुद करती हैं पर,
मुझपर धौंस जमाती हैं |
बीस की चॉकलेट माँगू तो,
लो बजट वो अपना बताती हैं ||
पचास रूपये का नाम लेकर, पाँच की चॉकलेट खिलाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

शक्ल़ तो ठीक हैं फिर भी,
सुंदर वो दिखना चाहती हैं |
और सुंदर दिखने के खातिर,
वो ढेरों मेक-अप लगाती हैं ||
आटे-सा मेकअप करती हैं, और लिपस्टिक पोत के जाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

इतनी बुराई हैं उसमें फिर भी,
मन की बहुत ही अच्छी हैं |
महताब-सी(1) है दुख़्तर(2) वो,
और ये बात बिल्कुल सच्ची हैं ||
इतनी सच्ची हैं कि कभी कभी, खुद पर ही हँस जाती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

मुराद-ए-बेनज़ीर(3) हैं उसको,
बस खुद में बे-खुद(4) हैं वो तो |
अलग लहज़ा(5) और तलफ़्फ़ुज़(6) हैं,
और थोडी-सी बे-सुध(7) हैं वो तो ||
पर मुस्तकिल(8) नही इक फ़लक(9) पर, वो परवाज(10) भी भरना चाहती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||

बेटे ही नही करते नाम रोशन,
बेटी भी शान बढाती हैं |
बेटा चाहे भूल भी जाए,
पर बेटी हर फर्ज निभाती हैं ||
बहुत ही खुशनसीब होता हैं, घर वो, जिसमें रहमत-ए-खुदा(11) ये आती हैं |
सबसे ज्यादा लड़ती हैं मुझसे, पर फिर भी मुझको चाहती हैं ||
✍️ Rahul Kumar G


हिन्दी अर्थ :-
1 = चाँद जैसी
2 = बेटी
3 = उस अद्वितीय की अभिलाषा
4 = आनन्दमग्ऩ
5 = बोलनें का ढंग
6 = उच्चारण
7 = होश में न होना
8 = स्थिर
9 =आसमान
10 = उड़ान
11 = ऊपरवाले की कृपा

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.