कहानी सच्चाई की
(The Story of Truth)
सत्य,सच, सच्चाई, ये कई नाम की बीमारी है,
इसी के ही इर्दगिर्द घूमती, हर किसी की कहानी है।
हर कोई चाहता है इसको, संग अपने जीवन भर के लिए,
पर ईंधन इस गाड़ी का बस, मांगता कुर्बानी है।।
बस का नही हर किसी का ये, कीमत चुकाना जीवन में,
किसी की सारी जिंदगी, मिट जाती है इस उलझन में।
कैसे साथ दूँ सच्चाई का, कीमत चुकाऊँ कुर्बानी की,
जब चुकाने के लिए पास मेरे, कोड़ी भी नहीं है दामन में।।
कभी कभी सच्चाई की, कीमत रिश्ते भी होते हैं,
कभी लोग सच बोलकर, अपनों को भी खो देते हैं।
दिल चूर चूर हो जाता है, मन भर जाता है ग्लानि से,
कुछ रोते हैं दिल ही दिल में, कुछ आँखों से रो देते हैं।।
तुम कितने पानी में हो, एक बार तो मन को टटोलो ना,
क्यूँ सी रखे हैं लब तुमनें, आज अपने लबों को खोलों ना।
आसां है किसी से यह कह पाना, कि तुम सच क्यूँ नही बोलते,
चलो आज थोड़ी हिम्मत करो, एक सच तुम भी तो बोलों ना।।
हर झूठ लगता अपना, हर सच्चाई लगे अनजानी है,
सब कुछ लगे छलावा, आँसू भी लगता पानी है।
खो रही है कीमतें, आज दुनिया में सच्चाई की,
यही हक़ीक़त है सच की, सच्चाई की यही कहानी है।