मेरी चाहत





मेरी चाहत 



प्यार बांटकर, प्यार सबका पाना चाहता हूँ। 
 दिल जीत कर अपनी पहचान, बनाना चाहता हूँ।।

  बचपन से सबकी नजरों में, उठ रहे हैं हम।
अब खुद को अपनी नजरों में, उठाना चाहता हूँ।।

नाकारा जो हमको, कहते हैं आज तक।
 उनको कुछ करके, दिखाना चाहता हूँ।।

 आसमां तक होती है, परिंदों की उड़ान।
 आसमा से भी ऊपर, मैं जाना चाहता हूँ।।

 वो हुनर जिससे, नवाजा है मुझे खुदा ने।
 अपना हुनर आज मैं, आजमाना चाहता हूँ।।

 धन दौलत इस जहान में, कमाते हैं लोग।
 इज्जत सबके दिल में, कमाना चाहता हूँ।।

 मेरी ही बात हो, सभी के लबों पर।
 सबको अपनी बात मैं, सुनाना चाहता हूँ।।

 दिल के महल में कैद, कुछ रखते हैं ख्वाब को।
 मैं ख्वाब लिए गगन में, उड़ जाना चाहता हूँ।।

यही है मेरा ख्वाब यही चाहत है मेरी। 
इसी के दम पर मैं दुनिया जीत जाना चाहता हूं ।।

प्यार बांटकर, प्यार सबका पाना चाहता हूँ। 
 दिल जीत कर अपनी पहचान, बनाना चाहता हूँ।।
                   ✍️Rahul Kumar G......

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