एक कदम उम्मीद का


एक कदम उम्मीद का

फासला मंजिल का कम हो जाएगा |
बस एक कदम आगे बढाकर तो देखों ||

निराशा का अंधकार भी मिट जाएगा |
बस  एक उम्मीद का दीप जलाकर तो देखों ||

माना कि तेरा हौसला डगमगाएगा तो जरूर |
बस एक बार धीरज खुद को बंधाकर तो देखों ||

माँगने वालो को खुदा सब कुछ देता हैं |
बस एक बार हाथ बढाकर तो देखों ||

यूँ तो रोज हम कई लोगों को गिराते हैं |
बस एक बार किसी गिरे हुए को उठाकर तो देखों ||

यूँ तो रोज हम सबसे नफरत दिखाते हैं |
बस एक बार थोडा प्यार जताकर तो देखों ||

यूँ तो रोज हम अपनों को पराया करते हैं |
बस एक बार किसी पराये को अपनाकर तो देखों ||

यूँ तो रोज हम धर्मों के नाम पर इंसानियत मिटाते हैं |
बस एक बार इंसानियत को धर्म बनाकर तो देखो ||
✍️ Rahul Kumar G

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