अर्थ पिता का
मेरी खुशी ही जिनका, बस एक सपना रहा है।
जिनके रहते मेरा, हर एक ख्वाब अपना रहा है।।
उंगली को मेरी, जो थाम लेते राहों में।
डर लगता मुझे तो, भर लेते अपनी बाहों में।।
कैसे बताऊं तुमको कि, मां-बाप कैसे होते हैं।
बच्चों का पेट भर कर, वो खुद भूखे सोते हैं।।
अपनी हर खुशी को उन्होंने, मेरे लिए ही छोड़ा है।
अपना पेट काट काट कर, मेरे लिए सुख जोड़ा है।।
आसमां की तरह पिता, हमको थामे रहते हैं।
देकर हमको खुशियां सारी, वो खुद दुखों को सहते हैं।।
पेड़ के जैसे छाया देकर, वो धूप खुद सह जाते हैं।
हर वक्त हर घड़ी में वो बस, खुशी हमारी चाहते हैं।।
मेरी हर तकलीफ का, पता उन्हें भी होता है।
अगर गिरे आंसू मेरे तो, दिल उनका भी रोता है।।
सिर्फ हमारे खातिर वो, कितने ख्वाब संजोते हैं।
हमारी हर ख्वाहिश को, अपने सर पर ढोंते हैं।।
मेरी हर तकलीफ में वो, अपना साथ बताते हैं।
रिश्तो की गरिमा होती क्या, वो मुझको समझाते हैं।।
कितना प्यार करता हूं उन्हें, सबको आज बताता हूँ।
हर ख्वाब उनके मन का मैं, पूरा करना चाहता हूँ।।
उनके ही कदमों में अर्पित, मेरा जीवन सारा है।
उनके बिना मुझे इस दुनिया का, हर सुख गंवारा है।।
मेरे दिल में पापा जगह, आपकी सबसे खास है।
मेरी दुनिया तब पूरी है, जब आप मेरे पास है।।
मां बाप की सेवा ही, बच्चों का पहला काम हैं।
मात-पिता है क्या, ये भगवान का दूजा नाम है।।
✍✍✍Rahul Kumar G